केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित
भारत के पंजाब राज्य की विधानसभा ने केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित कर दिया।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि किसानों के हितों को अनदेखा करके इन कानूनों को लागू होने नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि यह कानून न केवल सहकारी संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ हैं, बल्कि इनके उद्देश्य भी निरर्थक हैं। सदन में मौजूद सभी सदस्यों ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इन कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के बारे में अपमानजनक बयान देने के लिए भाजपा नेताओं पर निशाना भी साधा। उन्होंने केंद्र सरकार से किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों और नोटिसों को वापस लेने की अपील की ताकि इस मुद्दे के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए सकारात्मक माहौल तैयार किया जा सके। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिह ने कृषि कानूनों को लाने के पीछे केंद्र की मंशा को बेनकाब करने के लिए कई सवाल पूछे।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र को चाहिए कि वह इन कानूनों को लाने के पीछे के असली इरादे को उजागार करे। उन्होंने कहा कि किसान और राज्य को किसी भी कीमत पर यह क़ानून स्वीकार्य नहीं हैं। अमरिंदर सिंह ने कहा कि 11 चरणों की चर्चाओं के बावजूद केंद्र ने देश भर के किसानों के विरोध को अनसुना कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया।
उल्लेखनीय है कि पिछले 100 दिनों से भारत की केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए विवादित कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग को लेकर हजारों किसान दिल्ली की तीन सीमाओं सिंघू, टिकरी और गाजीपुर के साथ अन्य जगहों पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं जिनमे से अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं। किसानों का यह प्रदर्शन भारत के अन्य राज्यों में भी पहुंच गया है।
किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि इन कृषि कानूनों से कंपनियों को लाभ होगा और इसलिए वे पंजाब और हरियाणा में बहुत सारी जमीनें खरीद रहे हैं, जिसपर वे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करेंगे और प्राइवेट मंडियां स्थापित करेंगे। इस काम से सरकारी मंडियां और खरीद व्यवस्था खत्म हो जाएगी।