साद हरीरी और उनकी पार्टी आगामी संसदीय चुनावों में भाग नहीं लेगी
लेबनान के फ्यूचर मूवमेंट के प्रमुख और पूर्व प्रधान मंत्री साद हरीरी ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों को स्थगित कर दिया है और आगामी संसदीय चुनावों में अपनी पार्टी के भाग नहीं लेने का आह्वान किया है।
साद हरीरी ने कल 24 जनवरी को बेरूत में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहाः मैंने आगामी चुनावों में उम्मीदवार नहीं बनने का फैसला किया है, और कोई भी उम्मीदवार फ्यूचर मूवमेंट के निशान पर चुनाव में नहीं उतरेगा। लेबनान के पूर्व प्रधान मंत्री साद हरीरी अपनी राजनीतिक गतिविधियों को बंद करने की घोषणा के बाद, संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी के लिए यात्रा पर निकल पड़े।
साद हरीरी के इस फ़ैसले के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से एक उनका अपना राजनीतिक रिकॉर्ड भी है, लेकिन मौजूदा हालात में इसके चार मुख्य कारण हैं।
पहला, हरीरी हमेशा लेबनान की बाहरी शक्तियों और विशेष रूप से सऊदी अरब पर निर्भर रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में हरीरी और सऊदी अरब के बीच संबंध मैत्रीपूर्ण नहीं रहे हैं। नवंबर 2017 में, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने हरीरी को रियाज़ बुलाकर नज़रबंद कर दिया था और उन्हें लेबनान के प्रधान मंत्री के रूप में इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया था। यह घटना सऊदी अरब और साद हरीरी के बीच विवाद की शुरुआत की अहम वजह रही, क्योंकि हरीरी ने बेरूत लौटने के बाद अपना इस्तीफ़ा वापस ले लिया था, और सऊदी क्राउन प्रिंस के दबाव में अपने इस्तीफ़े की बात भी स्वीकार की थी।
दूसरा कारण यह है कि नवम्बर 2017 में सऊदी अरब के दबाव में इस्तीफ़ा देने और दिसम्बर 2019 में कैबिनेट के गठन में नाकामी के कारण, साद हरीरी ने लेबनान के राजनीतिक क्षेत्र में और फ्यूचर मूवमेंट की संरचना में अपना प्रभाव खो दिया है। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि फ्यूचर मूवमेंट ने अपनी राजनीतिक अखंडता खो दी है और एक आंतरिक राजनीतिक विभाजन का शिकार है।
तीसरे यह कि हरीरी आगामी संसदीय चुनावों में भाग लेने का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। सऊदी अरब और फ़ार्स खाड़ी के देशों के शेख़ हरीरी के सबसे महत्वपूर्ण वित्तीय समर्थकों में से थे, जो उनके प्रदर्शन से असंतुष्ट हैं, इसलिए वे हारे हुए घोड़े पर दांव नहीं लगाना चाहते हैं।
चौथे यह कि हरीरी लेबनान की मौजूदा समस्याओं से पूरी तरह अवगत हैं, ख़ासकर आर्थिक समस्याओं से। दूसरी ओर उन्हें यह पता है कि कम से कम कुछ समय के लिए ही सही उनका प्रधान मंत्री बनना संभव नहीं है, और चुनाव के बाद वह सौदेबाजी की स्थिति में भी नहीं हैं। यहां तक कि उनमें मौजूदा आर्थिक समस्याओं को कम करने की भी क्षमता नहीं है।
इन कारणों से, साद हरीरी ने लेबनान में अपनी राजनीतिक गतिविधि को स्थगित करना पसंद किया ताकि वह किसी अन्य स्थिति में और बेहतर स्थिति में देश में लौटने में सक्षम हो सकें।