क्या आप अंधरे में डूबी राजधानी के बारे में जानते हैं?... वीडियो रिपोर्ट
अफ़ग़ानिस्तान में साल के हर मौसम में बिजली की कटौती रहती है लेकिन इस शर्त के साथ कि वहां पर बिजली मौजूद हो।
हर क्षेत्र में मात्र कुछ घंटे के लिए बिजली आती है। जब जाड़े का मौसम आता है तो अव्यवस्थित ढंग से की गई यह कटौती भी ध्वस्त हो जाती है। बिजली का कोई भरोसा नहीं है। सुबह से बिजली नहीं आती। बाद में दोपहर में कुछ देर के लिए आती है फिर चली जाती है।
हम दुकान बंद करके चले जाते हैं। इन दिनों राजधानी काबुल में बिजली की कटौती ने नागरिकों के जीवन, उत्पादन और कामकाज को बुरी तरह से प्रभावित किया है। समस्या यह है कि हमारा कारख़ाना पूरी तरह से बंद हो गया है। अफ़ग़ानिस्तान में प्रयोग की 80 प्रतिशत बिजली आयात की जाती है। तालेबान के पतन के लगभग बीस वर्षों के बाद भी अफ़ग़ानिस्तान, आज भी विदेश से आयात की जाने वाली बिजली पर ही निर्भर है। यहां पर ग्राहक आते हैं, दुकान में अंधेरा होता है। रोशनी न हो तो फिर काग़ज़ भी दिखाई नहीं देते हैं।
आयातित बिजली पर निर्भर रहने के कारण अफ़ग़ानिस्तान को कई प्रकार की समस्याओं का सामना है। अफ़ग़ानिस्तान को बिजली निर्यात करने वाले देशों को जब अधिक बिजली की ज़रूरत होती है तो वे बिजली का निर्यात घटा देते हैं। कभी बिजली आपूर्ति के मार्ग में झड़पें होने से तो कभी तकनीकी मुश्किलों की वजह से बिजली की आपूर्ति ढप्प हो जाती है जिसकी मरम्मत में बहुत अधिक समय लगता है। हर आने वाला समय पिछले समय से बदतर हो रहा है।
कभी कहते हैं कि बिजली के खंबे उखड़ गए, अब एसा कुछ भी नहीं हो रहा है लेकिन हमको बिजली के गंभीर संकट का सामना है। दुकानों में आप स्वयं ही देख रहे हैं। जो बल्ब जल रहे हैं वे वास्तव में जनरेटर से जलाए जा रहे हैं।
अलबत्ता, इस देश में कुछ घंटों के ही लिए जो बिजली है वह बहुत मंहगी है। कुल मिलाकर बिजली के न होने और ईंधन के मंहगे होने की ही वजह से अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल को विश्व की अंधेरी राजधानी का शीर्षक दिया गया है। अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी और यहां के बड़े शहरों में बिजली की समस्या एसी स्थिति में है कि जब यहां के दूरस्थ क्षेत्रों में बिजली मौजूद ही नहीं है।